उज्जैन। जीवन के संपूर्ण विकास के लिए शिष्य में शिक्षा एवं कला के साथ संस्कार आवश्यक है। उक्त विचार सत्यार्थ प्रकाश की व्याख्या करते हुए वरिष्ठ आर्य प्रवक्ता पं. सुखदेव व्यास ने व्यक्त किए। आचार्य जीवन प्रकाश ने कहा सुख-दु:ख, राग-द्वेष, इच्छा, प्रयत्न आत्मा की चेष्टाए है। पूर्व प्रधान ओमप्रकाश यादव ने आर्य समाज के नियमों का वाचन किया। ईश प्रार्थना विष्णु शर्मा ने प्रस्तुत की। भजनों की प्रस्तुति ललित नागर ने दी। साप्ताहिक सत्संग के अंत में सदस्यों ने वक्फ बिल के विरोध में राष्ट्र विरोधी शक्तियों द्वारा गुना एवं मुर्शिदाबाद में हुई घटनाओं की निंदा की। सरकार द्वारा वक्फ बिल की आड़ में हिंसा फैलाने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। आभार पूर्व प्रधान वेद प्रकाश आर्य ने माना।