उज्जैन। मुगलों के आक्रमण ने भारत में महिलाओं की स्थिति को आसमान से जमीन पर लाकर पटक दिया। अंग्रेजों ने भी भारतीय महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ नहीं किया। वेदों में महिलाओं को बराबरी के अधिकार दिए गए थे। यह बात सुप्रसिद्ध लेखिका अद्वैत काला ने डॉ. हेडगेवार स्मृति व्याख्यानमाला में कही। वे भारतीय नारी कल, आज और कल विषय पर विचार रख रही थीं। उन्होंने कहा मनुस्मृति में व्यवस्था दी गई है- यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवताः। मैंने मनुस्मृति का नाम इसलिए लिया क्योंकि उसके विरोध में एक संगठित नैरेटिव बनाया जा रहा है। व्यवस्थित तरीके से भारतीय सभ्यता को नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र चल रहा है। भारतीय वेदों, रामायण, महाभारत सभी ग्रंथों में गार्गी, मैत्रेयी, सीता हैं। किसी ने ऋग्वेद रचा, किसी ने स्वयंवर किया, किसी ने शास्त्रार्थ किया। हम बाल विवाह पर इसलिए विवश हुए क्योंकि वहां 9 साल की बच्ची से अनुमति थी। जौहर जैसी प्रथा ही इन्हीं कारणों से आई। उन्होंने किले जीते और महिलाओं को भी जीतना चाहा।

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