15 दिसंबर की रात से खर मास की शुरुआत
उज्जैन। खरमास को अशुभ और अशुद्ध महीना माना जाता है। सूर्य द्वारा गुरु की धनु या मीन राशि में प्रवेश करने पर खरमास होता है। 15 दिसंबर से इसकी शुरुआत होगी। मांतगी ज्योतिष केंद्र के ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार आखिरी महीने 15 दिसंबर को यह मास आ रहा है, लेकिन इस मास की समाप्ति 14 जनवरी 25 में होगी। ज्योतिर्विद पं. व्यास ने बताया कि खरमास में नया घर खरीदना या गृह प्रवेश करना मना है। नए व्यापार की शुरुआत न करें। शादी, मुंडन, जनेऊ, सगाई आदि कार्य न करें। 16 संस्कारों वाले कार्य करने की मनाही है।
पं. व्यास के अनुसार मार्कंडेय पुराण के अनुसार सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठ कर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्य का रथ एक क्षण के लिए भी नहीं रुकता। घोड़ों की दयनीय दशा देखकर सूर्य देव उन्हें विश्राम देने के लिए और उनकी प्यास बुझाने के लिए रथ रुकवाने का विचार करते हैं। सूर्य को एक तालाब के पास दो खर (गधे) दिखाई दिए। उनके मन में विचार आया कि जब तक उनके रथ के घोड़े पानी पीकर विश्राम करते हैं, तब तक इन दोनों खरों को रथ में जोतकर आगे की यात्रा जारी रखी जाए। ऐसा विचार कर सूर्य ने अपने सारथि अरुण को उन दोनों खरों को घोड़ों के स्थान पर जोतने की आज्ञा दी। पं. व्यास ने बताया कि मंद गति से रथ चलने के कारण सूर्य का तेज भी मंद होने लगा। गुरुण पुराण के अनुसार खर मास में प्राण त्यागने पर सद्गति नहीं मिलती। इसलिए महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने अपने प्राण खर मास में प्राण नहीं त्यागे थे। उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था। सूर्य के धनु और मीन राशि में आने पर खर मास होता है। यह साल में दो बार आता है।