उज्जैन। नन्हे हाथों ने संजा का किला कोट उकेरा। प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था के संजा एवं मांडना प्रतियोगिता 24 सितंबर सुबह 11 बजे हुई। 23 सितंबर को संजा एवं मांडना कला विशेषज्ञ शीला व्यास एवं अंजलि समाधिया ने संजा एवं मांडना बनाने का प्रशिक्षण दिया। संस्था अध्यक्ष डॉ. शिव चौरसिया ने बताया कि संजा लोकोत्सव में कला विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों से संवाद किया। जानकारी मिली कि कई बच्चों के घर में संजा के कागज के पाने चिपकते हैं, कुछ के घर में केवल मां संजा बनाती है और कुछ विद्यार्थी संजा परंपरा से बिल्कुल अनभिज्ञ थे। संस्था निदेशक डॉ. पल्लवी किशन ने विद्यार्थियों को भविष्य में अपने-अपने घर की दीवार पर गोबर से पारंपरिक संजा बनाने के लिए प्रेरित किया। इस प्रतियोगिता में लगभग 80 बालक बालिकाओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता में ए ग्रुप में प्रथम काव्य शर्मा, द्वितीय अवनी चौहान, तृतीय काव्यम सांखला रहीं। बी ग्रुप में प्रथम आराध्या शर्मा, द्वितीय प्राची चौहान, तृतीय अंतिम बाला जाट, मांडना ओपन ग्रुप में प्रथम कृतिका सोलंकी, द्वितीय वेदिका मालवीय, तृतीय किंजल गेहलोत रहीं।
साइंस के छात्रों के बीच संजा
संजा लोकोत्सव में 25 सितंबर को सुबह 11 बजे से माधव विज्ञान महाविद्यालय में संजा एवं मांडना  पर आधारित लेक्चर डेमोंसट्रेशन दिया जाएगा। साइंस कॉलेज के प्राचार्य अर्पण भारद्वाज, प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था की निदेशक डॉ पल्लवी किशन, अध्यक्ष डॉ. शिव चौरसिया, कुमार किशन, डॉ अनीता चौधरी, रविंद्र देवलेकर, डॉ पुष्पा चौरसिया, रोहित सामदानी आदि ने इस कार्यक्रम में भाग लेने का आह्वान किया है।

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