उज्जैन। साधना जीवन के बहिरंग और अंतरंग क्षेत्रों में सुसंस्कारित सुव्यवस्था उत्पन्न करने का नाम है। साधना का तात्पर्य है अनगढ़ जीवन को शुगढ़ बनाना। यह उद्गार जेपी यादव ने गायत्री शक्तिपीठ पर गायत्री महामंत्र अनुष्ठान की पूर्णाहुति पर व्यक्त किए। उपजोन समंवयक महेश आचार्य ने अनुष्ठान, गायत्री और यज्ञ की आवश्यकता बताते हुए कहा कि गायत्री मंत्र की महान महिमा और अग्निहोत्र का शास्त्र भी नहीं बखान नहीं कर सकते हैं। महानवमी पर 2 सौ से अधिक साधकों ने नवरात्रि अनुष्ठान की पूर्णाहुति पर नौ कुंडीय यज्ञ किया। यज्ञ के साथ पुंसवन और मुंडन संस्कार कराए। संचालन टीकारामजी, अल्केश पटेल, एमएल रणधवल और आयुष्य पटेल ने किया। कन्या पूजन और कन्या भोज किया गया।