उज्जैन। मध्यप्रदेश शासन के अव्यवहारिक निर्णय नागझीरी में एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट लगाया गया था। 248 कर्मचारियों को आज तक वेतन भुगतान नहीं किया है। लंबे समय से त्रस्त कर्मचारियों ने त्रस्त कीर्ति रावल के नेतृत्व में ज्ञापन दिया। चार सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से भोपाल में मिला। मुख्यमंत्री ने शीघ्र समाधान के लिए आश्वस्त किया। राष्ट्रीय तिलहन विकास योजना और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड आणंद के बीच हुए करार के अनुसार क्षेत्रीय संघ ने नागझौरी में 4 सौ मेट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का सोयाबीन संयत्र लगाया था। शासन व डेरी बोर्ड के करार के अनुसार यह संयत्र क्षेत्रीय तिलहन संघ के सुपुर्द करना था। लेकिन अपरिहार्य कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। मध्यप्रदेश शासन व एनडीडीबी के जिम्मेदारों के बीच बैठक में निर्णय लिया गया था कि क्षेत्रीय संघ का तिलहन संघ भोपाल में विलय करते हुए उसके समस्त दायित्व और संपत्तियां तिलहन संघ को सौंप दी जाए। खेद है कि बैठक में लिए गए निर्णयों का क्रियान्वयन नहीं हो पाया। शासन द्वारा समय समय पर तिलहन संघ को निर्देशित किया जाता रहा। मध्यप्रदेश शासन के निर्देशों की अवहेलना की गई। तत्कालीन मप्र शासन व एनडीडीबी के विवाद के कारण 248 अधिकारीऔर कर्मचारी 25 साल से बेरोजगार हैं। मात्र 17 कर्मचारी शासन के विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति पर हैं। एसोसिएशन अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि नागझीरी स्थित सोयाबीन प्लांट की भूमि विक्रय की प्रक्रिया शासन स्तर पर विचाराधीन है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही शासन स्तर पर कर्मचारियों के हित में निर्णय कर उनके बकाया वेतन आदि का भुगतान किया जायगा।

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