उज्जैन। सकारात्मकता वह भाव है जिसको पढ़ने और लिखने से मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। नकारात्मकता, तनाव, डिप्रेशन से लड़ने में इंसान को सहायता मिलती है। सकारात्मक लघुकथाएं जीवन में अनायास आ गई विषमताओं, कटुताओं पर प्रहार कर नई ऊर्जा को जन्म देती है। उक्त उद्गार तृतीय लघुकथा अधिवेशन में अतिथि संतोष सुपेकर ने व्यक्त किए।सरल काव्यांजलि के सचिव मानसिंह शरद ने बताया कि डॉ. विकास दवे ने कहा कि लघुकथा जीवंत विधा है। लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कांता राय ने कहा कि सकारात्मकता साहित्य में इत्र के समान है। स्वागत भाषण संस्था अध्यक्ष मुकेश तिवारी ने दिया। इस अवसर पर राममूरत राही, सुधाकर मिश्रा आदि ने लघुकथा पाठ किया। सतीश राठी, ज्योति जैन, वसुधा गाडगिल, घनश्याम मैथिल और सुनीता प्रकाश को सम्मानित किया गया।

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