भाेपाल। सैनिक और खिलाड़ी राष्ट्र का ध्वज लेकर चलते हैं। वे देश के किसी भी कोने से आये हों, वे देश के होते हैं। ऐसे सैनिकों और खिलाड़ियों के प्रति देश के नागरिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। यह विचार दत्तात्रेय होसबाले ने क्रीडा भारती के जिजामाता सम्मान’ समारोह में व्यक्त किए। 6 खिलाड़ियों की माताओं का सम्मान किया गया। अतिथि केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग, क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री चेतन कश्यप उपस्थित थे। इस अवसर पर दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि पदक विजेता खिलाड़ियों को जिन्होंने तैयार किया उनके परिश्रम और संघर्ष को सम्मान देना, यह बहुत महत्व की बात है। जिजामाता श्रेष्ठ मां के साथ कुशल प्रशासक भी थीं। जिजामाता ने शिवाजी महाराज को बचपन से ही रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाई। क्रीड़ा भारती के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि खेल के क्षेत्र में संस्कार और संस्कृति रहे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्मानित माताओं को बधाई दी। केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने कहा कि क्रीड़ा भारती का यह कार्यक्रम प्रेरक है जो खिलाड़ियों की माताओं के योगदान के महत्व को स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि खेल सार्वजनिक जीवन का हिस्सा है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की पहली पाठशाला माता ही होती है। मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री एवं क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चेतन कश्यप ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर क्रीड़ा भारती एकमात्र संगठन है जो समस्त खेलों की चिंता करता है।