डोंगला वेधशाला को शिक्षण और शोध का केंद्र बनाने की आवश्यकता-प्रो. प्रजापति
उज्जैन। प्राचीनकाल से उज्जैन ज्ञान, कला, शोध और साहित्य के क्षेत्र में अपना विशेष महत्व रखता है। पद्मश्री डॉ. विष्णुश्रीधर वाकणकर ने महाकाल वन में महिदपुर तहसील स्थित डोंगला में सूर्य के उत्तर दिशा का अंतिम समपाद बिंदु खोजा और बताया कि उज्जैन प्राचीन भारत में खगोलीय अध्ययन का स्थान रहा है। अधिकांश वैदिक गणना उज्जैन में कर्क रेखा के स्थान पर आधारित थी। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने डोंगला वेधशाला को खगोल विज्ञान का आधुनिक केंद्र बनाने का प्रयास किया। इस वेधशाला में अत्याधुनिक तकनीक का टेलिस्कोप लगाया गया है। शासन को डोंगला वेधशाला को भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित शिक्षण और शोध का केंद्र बनाने की दिशा में त्वरित गति से कार्य करने की आवश्यकता है। उक्त बात प्रो डॉ रामप्रसाद प्रजापति जगोटी ने कही। बताया कि यहां हम डोंगला को पुनः काल गणना का मुख्य बिंदु तथा खगोलीय ग्रीनविच केंद्र के रूप में स्थापित कर सकेंगे। कायथा में जन्मे खगोलविद् वराहमिहिर ने खगोल वेधशाला का निर्माण करवाया था।