उज्जैन। दीपावली पर आश्रम में संत उमाकांत ने सत्संग व नामदान किया। दीपावली पर देश-विदेश से आए भक्तगणों को मक्सी रोड स्थित आश्रम में चल रहे तीन दिवसीय सत्संग में संत उमाकांत ने बताया कि यह त्यौहार मनुष्य को याद दिलाते हैं कि कामकाज के साथ अपनी आत्मा का कल्याण भी जरूरी है। पटाखे, मिठाई, कपड़े, घूमना फिरना, सजावट से अलग भी दीपावली मनाई जाती है। जब अंदर का दिया जलता है तब 12 महीने हर रोज साधक दीपावली मनाते हैं। सांसों की पूंजी खत्म होने पर सबको एक दिन खाली करना पड़ेगा। यह देव दुर्लभ अनमोल मनुष्य शरीर केवल खाने-पीने, मौज-मस्ती करने के लिए नहीं मिला। मनुष्य शरीर का असली उद्देश्य जीते-जी प्रभु को पाना है।  श्मशान घाट पर शरीर को मुक्ति मिलती है आत्मा को नहीं। मौत को हमेशा याद रखो।

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