उज्जैन। सूखी बाती बिना स्नेह के कैसे दीप जलाऊं मैं, गहन तिमिर है छाया चहुं दिस, कैसे इसे मिटाऊं मैं… डॉ. आरपी तिवारी के इस मधुर स्वर से ग़ज़लांजलि की काव्य गोष्ठी शुरु हुई। शायर विजयसिंह गहलोत साकित, डॉ अखिलेश चौरे, अवधेश वर्मा नीर, दिलीप जैन, डॉ विजय सुखवानी ने रचनाएं पढ़ी। प्रफुल्ल शुक्ला सरकार और सत्यनारायण नाटाणी ने भी कविता पाठ किया।