उज्जैन। शंकराचार्य का संकल्प पूर्ण होगा। यह बात सचिव गो प्रतिष्ठा आंदोलन के देवेंद्र पांडेय ना कही। आंजोलन का का तीसरा चरण वृंदावन में समाप्त हुआ। आंदोलन प्रखरत की ओर अग्रशर हो रहा है। गो प्रतिष्ठा आंदोलन के सचिव पांडेय ने बताया कि गो-माता की हत्या बंद हो और उन्हें राष्ट्र माता का सम्मान दिया जाए, इसके लिए प्रथम चरण में गोवर्धन गिरिराज की प्रदिक्षणा की गई। 1966 में करपात्रीजी के आंदोलन को कुचले वाली तत्कालीन सरकार ने गोलियां चलाई थी। वहां जा कर प्रतिज्ञा की गई गो-माता राष्ट्र माता बनाने तक गो-प्रतिष्ठा आंदोलन निरंतर चलता रहेगा। पांडेय ने बताया कि गो-प्रतिष्ठा आंदोलन को आदिगुरु शंक़राचार्य द्वारा स्थापित चरो पीठों गोवर्धन पीठाधीश्वर निश्चलानंद सरस्वती, द्वारका पीठाधीश्व सदानंद सरस्वती, श्रृंगेरी पीठाशीश्वर तीर्थ भारती और ज्योतिरपीठाशीश्वर अविमुक्तेशरानंदजी का समर्थन प्राप्त है। यह आंदोलन निरंतर गो माता की प्रतिष्ठा तक चलता रहेगा। पांडेय ने बताया कि यह यात्रा कठिन है। राम, कृष्ण, परशुराम, गुरुगोविंद सिंह, बुद्ध और महावीर की पवित्र भूमि आज गो-माता के रक्त में सनी हुई है। अरुणांचल प्रदेश, नागालैंड, मिज़ोरम और मेघालय में शंकराचार्य के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। इन्ही राज्यो में हिंदूओंं के धर्मांतरण पर छूट दी जा रही है। गो प्रतिष्ठा आंदोलन की भावी ब्यूह रचना का उल्लेख करते हुए पांडेय ने बताया कि 9 नवंबर गोपाष्टमी के दिन 36 प्रांतों के 36 प्रभारी वाराणसी से रवाना होकर अपने प्रभार के प्रांतों में 36 दिनों में हर ज़िले में गो ध्वज की स्थापना करेंगे । इस बीच गो-संसद, गो-विधायक, गो-ब्लॉक प्रमुख, गो-पार्षद स्तर तक संगठन का विस्तार भी करेंगे ।

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