उज्जैन। उज्जैन में बौद्धसत्वों एवं विरासतों के संरक्षण की शीघ्र आवश्यकता है। उक्त मांग बौद्ध भिक्खु डॉ सुमेध थेरो ने करते हुए कहा कि उज्जैन में स्थित महेन्द्र एवं संघमित्रा के स्तूपों के संरक्षण के साथ आधुनिक युग के बोधिसत्व भारतरत्न बाबा साहब डॉ अम्बेडकर से सम्बन्धित स्मारकों, गतिविधियों के संरक्षण की आवश्यकता है। वर्तमान मुख्यमंत्री का घर व जनपद होने से उनकी भी जिम्मेदारी बनती है। बौद्ध भिक्खु डॉ सुमेध थेरो ने कहा कि उज्जैन प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है जो 5 हजार साल पुराना है। एक समय था जब यह शहर एक बड़े साम्राज्य की राजधानी रहा था। उज्जैन के प्राकृतिक, भौगोलिक और ज्योतिषीय महत्व को समझने की आवश्यकता है। अशोक अपने पिता के शासनकाल के दौरान तक्षशिला और उज्जैन के गवर्नर थे। अशोक अपने भाइयों को सफलतापूर्वक पराजित करने के बाद लगभग 268 ईसा पूर्व सिंहासन पर बैठा। अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी व पत्नी का नाम देवी या वेदिसा था, जो उज्जयिनी की राजकुमारी थीं।अशोक के पुत्रों में महेंद्र, तिवरा, एक शिलालेख में उल्लिखित एकमात्र, कुणाल और तालुका प्रमुख थे। उनकी दो पुत्रियां संघमित्रा और चारुमती प्रसिद्ध थीं। उन्होंने जनता के बीच बौद्ध धर्म का संदेश फैलाने के लिए शिलालेख और स्तंभ शिलालेखों को भी उत्कीर्ण कराया।