उज्जैन। अज्ञान व अंधविश्वास और पाखंडों का खंडन किया स्वामी दयानंद ने। अध्यात्म और सामाजिक जगत के उन्नयन और उत्कर्ष का ऐसा कोई कार्य नहीं था जिसे ऋषि दयानंद ने नहीं किया। स्वामी दयानंद ने देश के धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उक्त विचार डॉ विजय अग्रवाल ने आर्य समाज के साप्ताहिक सत्संग में व्यक्त किए। आचार्य जीवन प्रकाश आर्य ने कहा कि मनुष्य देह में रहते हुए इस जीवन में ही हम मोक्ष प्राप्ति का प्रयास करें। ईश प्रार्थना का वाचन मदनलाल कुमावत ने किया। इस अवसर पर ललित नागर, पं. राजेंद्र व्यास, डॉ आनंदमोहन सक्सेना, ओम प्रकाश यादव, महेश धाम, नंदकिशोर टांडी, वेद प्रकाश आर्य, रमेश पाटीदार, मंजुला अग्रवाल, नटवरलाल शर्मा और अनेक धर्मालुजन उपस्थित थे।

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