उज्जैन। साध्वी अमृतरसा श्रीजी के त्रिदिवसीय जन्म महोत्सव में 25 सितंबर को त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ एवं परिषद परिवार ने ज्ञानमंदिर नमकमंडी में प्रवचन रखे व पार्श्वनाथ महापूजन किया। प्रवचन के बाद संजय कोठारी, विकास चौरडिया एवं धीरज चौरडिया ने भक्ति की। दोपहर में पार्श्वनाथ महापूजन एवं संगीतमयी भक्ति की गई
अनीता से हुए साध्वी
आज से ठीक 45 साल पहले अहमदाबाद में हरिभाई और जानुद बेन के घर जन्मी कुमारी अनिता ने बाहरवी तक पढ़ाई पूरी करने के बाद 21 वर्ष की आयु में संयम जीवन लिया। केवल सुन सुन कर धार्मिक अध्ययन किया। साध्वी भुवन प्रभा श्रीजी बने। साध्वीजी ने आचार्य विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी से पालीताणा तीर्थ पर जैन साध्वी दीक्षा ली। आत्मोद्धार के लिए उन्होने कई तपस्या की जिसमें 16 उपवास, 27 उपवास, के साथ ही एक माह की कठिन तपस्या, 30 उपवास, एक वर्ष तक वर्षीतप, एक एक दिन के अंतराल में लगातार आठ अट्टाई की तपस्या की। सबसे कठिन तपस्या 73 दिन तक लगातारर उपवास केवल गर्म पानी के किए। निरंतर ज्ञानार्जन करते हुए दीक्षा के बाद बीए, एमए एवं दार्शनिक चिंतन विषय पर लाडनू विश्वविद्यालय राजस्थान से डॉक्टरेट की उपाधि ली। गच्छाधिपति आचार्य नित्य सेन सूरीश्वर एवं साध्वी भुवन प्रभा श्रीजी के मार्गदर्शन में विभिन्न शहरों में चातुर्मास किया। इस चातुर्मास में साध्वी के सान्निध्य मेें 88 ने सिद्धतप तपस्या एवं 65 ने अट्टाई की तपस्या की।

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