उज्जैन। विक्रम विश्विद्यालय की माइक्रोबायोलॉजी अध्ययनशाला एवं फ़ूड टेक्नोलॉजी अध्ययनशाला में अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोबायोलॉजी-डे 12 से 19 सितंबर तक है। इसमें पहले दिन पर्यावरणविद डॉ. हरीश व्यास ने व्यख्यान दिया। उन्होंने बताया की क्या हम पढ़ते समय विषय का चयन सही से करते है?. उन्होंने एक विडिओ के माध्यम से यह बताया कि किस प्रकार एक कौआ सारा कचरा उठाकर कूड़ेदान में डालता है।. उन्होंने आईआईटी गुजरात के तिन विद्यार्थियों की कहानी बताई जिसमे वे एक चाय की गुमटी पर चाय पीने जाते है। वहां उनको एक अजीब सी बदबू आती है। तब वे देखते है की पीछे एक नाली है उसमे से वह बदबू आ रही है। वे तीनो छात्र बाद में उसका अध्ययन करते है। वे नाली में मिथेन गैस उत्सर्जित करते है। उन्हें वही से एक आईडिया आता है कि यह मिथेन गैस ज्वलनशील भी होती है। उन्होंने एक पानी की टंकी के तले को काटकर उस नाली के एक मुहाने पर रख दिया। उस चाय वाले के गैस में कनेक्ट किया, जिससे उसका गैस जलने लगा। ऐसे छोटे छोटे ऑब्जरवेशन करके हम कितना अच्छा कार्य समाजहित में कर सकते है। इसी प्रकार गाय के कंडे किस प्रकार से एक बड़ा बिजनेस बन गया है। इस अवसर पर विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अलका व्यास, सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रीति दास उपस्थित थी। डॉ व्यास का स्वागत डॉ. तरुण सांखला एवं डॉ. कैना भोंसले ने किया।