उज्जैन। महाकाल की सवारी यदि शाही शब्द के कारण गुलामी या सामंतवादी प्रतीत होती है तो क्या सिंहस्थ में अखाड़ों द्वारा शाही स्नान भी गुलामी के प्रतीक हैं? महाकाल सेना के प्रमुख महेश पुजारी ने कहा है कि प्रत्येक 12 वर्ष में लगने वाले सिंहस्थ में अखाड़ों द्वारा सनातन धर्म के वेदों पुराणों और पंचांगों के आधार पर कुछ विशेष संयोग और तिथि पर शाही स्नान घोषित किए जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता हैं की जिन विद्वानों ने शाही शब्द पर प्रश्न किया है उनके अनुसार देश में सनातन धर्म को मानने वाला श्रद्धालु ,साधु-संत या अन्य धर्मयुक्त स्नान नहीं कर रहे। महाकाल सेना के प्रमुख महेश पुजारी एवं सदस्य रूपेश मेहता ने इस संबंध में कहा कि सभी विद्वान,आचार्य और गणमान्य नागरिक शाही शब्द के विरोधि, क्या वह लोग मुख्यमंत्री से सिंहस्थ में अखाड़ों द्वारा घोषित शाही स्नानों को भी धर्मयुक्त नाम में परिवर्तन करने की बात करेंगे।