उज्जैन। भारत में पुरातन काल से संस्कृति के प्रवाह में लाठी आत्मरक्षा का हथियार रहा है।अखाड़ा संस्कृति में कुश्ती, मलखंब, योग, कबड्डी एवं लाठी चालन वर्तमान में विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहे हैं।  इस लाठी खेल को हम ओलंपिक खेल में सम्मिलित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह बात सांसद अनिल फिरोजिया ने 3 दिवसीयजिला स्तरीय पारंपरिक लाठी खेल प्रतियोगिता के शुभारंभ पर कही। अध्यक्षीय उद्बोधन पारस चंद्र जैन ने दिया। विशेष अतिथि जगदीश अग्रवाल,, पार्षद राजेश बाथम, पूर्व पार्षद संतोष व्यास, माया मदकोरिया, प्रमोद विश्वकर्मा शहडोल, विनोद बुंदेला बेतुल, पवन पंवार, विशाल सोलंकी उपस्थित थे। स्वागत भाषण अरविंद जोशी ने दिया। संचालन शैलेन्द्र व्यास ने किया। आभार रजनी नरवरिया ने माना।

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