उज्जैन। चातुर्मास वास्तव में धर्मं में रत रहने के लिए होता है। इस चातुर्मास में हमें बाहर की नहीं अन्तरंग की यात्रा करना है। हमें कोयल जैसा चतुर बनाना है। यह बात दुर्लभमति माताजी ने कही। वह फ्रीगंज पंचायती मंदिर में धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। दुर्लभमति माताजी ने कहा कि अज्ञान और आलस्य को छोड़कर धर्म रूपी बाग़ लगाएं। श्रावण कह रहा है कि एक सच्चे श्रावक बन जाओ। भादौ आकर कहेगा कि भगवन की भक्ति कर अपने जीवन में भव्यता लाओ। क्वांर कहेगा कि जीवन रूपी कोरी स्लेट पर धर्म के गीत व संगीत उतार लो। अषाड़ में यदि किसान चूक जाए तो पछताता है। उसी तरह व्यक्ति यदि श्रावण में धर्म श्रवण नहीं करेगा तो दु:खी रहेगा। 15, 16 एवं 17 अगस्त को लड़कियों को समाज में रहते हुए विभिन्न बुराइयों से बचने और सुसंस्कृत करने के लिए प्रतिभा स्थली की दीदीयों का प्रतिभा पल्लवन शिविर होगा। आयोजित किया गया है। इसमे कई शहरों से कन्याएं शामिल होंगी और जीवन जीने की कला सीखेंगी।

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