उज्जैन। जब तक समाज में गरीबी, शोषण, गैर बराबरी, नारी अत्याचार और आतंकवाद जैसी समस्याएं रहेंगी तब तक प्रेमचंद की प्रासंगिकता बनी रहेगी। प्रेमचंद को याद करना यानी एक ऐसे साहित्यकार का स्मरण करना है जिसने गुलाम भारत के समाज की वसंगतियां का बेबाक चित्रण किया। यह बात मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वावधान में हुई प्रेमचंद गोष्ठी में कही। एक शाम प्रेमचंद के नाम शीर्षक से हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव चौरसिया ने की। अतिथि के रूप में कुलानुशासक डॉ शैलेंद्र कुमार शर्मा, डॉ अरूण वर्मा, साहित्यकार डॉ देवेंद्र जोशी, वरिष्ठ कवि श्रीराम दवे आदि उपस्थित थे।