उज्जैन। शास्त्र में धन की गति दान, भोग और तीसरी नाश बताई है।। शास्त्र कहता है व्यक्ति को हमेशा दशांश का दान अवश्य करना चाहिए। लेना है तो देना सीखना पड़ेगा। दान के लिए जरूरी नहीं एक करोड़ हो, एक रूपया ही सही। अगर आपका भाव सही है तो एक रूपया ही एक करोड़ के बराबर है। यह बात स्वामी प्रेमानंद ने भागवत कथा की पूर्णाहुति पर कही। महामंडलेश्वर ने श्रीकृष्ण-सुदामा की कथा सुनाई। कथा की पूर्णाहुति पर फूलों की होली खेली गई। कथा के मुख्य यजमान रमेशचंद्र पाटीदार, अशोक पाटीदार, दिनेश पाटीदार, पवन पाटीदार ने व्यासपीठ का पूजन किया। महाराजश्री ने कहा कहते हैं कि सुदामा गरीब थे, दरिद्र थे। मैं कहता हूं दरिद्र उसे कहते हैं जो असंतोषी है। सुदामा गरीब थे पर दरिद्र नहीं। सुदामा चरित्र से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें असंतोषी नहीं रहना है। जब हमारी सांस पर हमारा नियंत्रण नहीं तो कल की चिंता क्यों करें। पाप के चार चरण ऐश्वर्य- महामंडलेश्वर ने कहा कि धर्म के चार चरण है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। पाप के भी चार चरण हैं, पहले चरण में ऐश्वर्य, दूसरे चरण में पाप, तीसरे चरण में कीर्ति, चौथे चरण में समुल नाश कर देता है।
महामंडलेश्वर ने कहा कि संसार का सबसे बड़ा धन स्त्री है। जो परिवार किसी कन्या को बहु बनाकर लाता है, वो कन्या उस परिवार पर उपकार करती है। माताओं को अपने बच्चों का ध्यान रखना है। हर घर में एक राम, कृष्ण, महाराणा प्रताप लाना है।
भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की मां
स्वामी प्रेमानंद ने कहा कि कथा व्यथा दूर कर देती है।भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की मां है, जहां ज्ञान और वैराग्य खत्म होते हैं वहां भक्ति शुरु होती है। जहां भागवत होती है, वहां देवता स्वयं आकर बैठ जाते हैं।
उज्जैन भगवान की ससुराल भी- स्वामी प्रेमानंद ने कहा कि भगवान कृष्ण ने द्वारिका बसाई उसमें 56 करोड़ यादव थे। 3 करोड़ से अधिक शिक्षक थे। भगवान कृष्ण की ससुराल भी उज्जैन है। भगवान ने अपने पिता का पिंडदान यहां किया।
आज होगा भागवत का महारास- श्री बाबा धाम मंदिर सचिव महंत आदित्यपुरी ने बताया कि 28 जुलाई एवं 29 जुलाई को भागवत का महारास होगा। दो दिनों तक आनंद उत्सव मनाया जाएगा।

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