उज्जैन। श्रद्धा में जान है तो भगवान हमसे दूर नहीं। अगर श्रद्धा ही हमारी डावा-डोल है तो वह लकड़ी में लगी दिम्मक की तरह सड़ जाएगी। जिनवाणी मां हमको ऐसा प्रकाश दो कि हम स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और कर्ण इन पंच इंद्रियों के विषयो में न उलझ कर सम्यक दर्शन, ज्ञान, चरित्र को प्राप्त कर अपनी आत्मा का कल्याण करें। धर्म सभा में आर्यिका दुर्लभमती माताजी ने प्रश्नोत्तर में रत्नमालिका ग्रंथ में नीति पथ का मार्ग बताया। चार्तुमास सेवा समिति ने बताया कि आर्यिका दुर्लभमती माता शहर के फ्रीगंज जिनालय में विराजमान हैं। प्रतिदिन प्रवचन के पूर्व सुबह 6 से 7 बजे तक जैन धर्म की आधारसिला विषय पर क्लास ली गई। गुरुदेव के चित्र का अनावरण और दीप प्रज्ज्वलित कर धर्म सभाशुरपु की जाती हैं। दोपहर 3 बजे द्रव्य संग्रह की क्लास और शाम को गुरु भक्ति होती है।

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