उज्जैन। डॉ. आंबेडकर एक आदर्श समाज की स्थापना कर सामाजिक प्रजातन्त्र लाना चाहते थे। वे ऐसे समाज की रचना करना चाहते थे जिसमें व्यक्ति को विचारों की अभिवक्ति, शिक्षा और आत्मविकास की तथा आजीविका के चुनाव की स्वतन्त्रता हो। यह उद्गार दलित साहित्य अकादमी में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. प्रकाश बरतुनिया ने व्यक्त किए। संत उमेशनाथ ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विशेष अतिथि डॉ. अर्पण भारद्वाज थे। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नईदिल्ली के सहयोग से संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन प्रो. दीपक कुमार वर्मा ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *