उज्जैन। मनुष्य के व्यक्तित्व एवं कौशल विकास में शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों एवं गुणों का सर्वाधिक महत्व रहता है। हमें मन से जुड़ने वाले भावों एवं विचारों के प्रति सदैव सजगता, जागरुकता एवं आत्मविश्लेषण करतें हुए लक्ष्य प्राप्ति करना चाहिए।  उक्त विचार डॉ. अंबेडकर पीठ के पूर्व आचार्य शैलेंद्र पाराशर ने व्यक्त किए। पाराशर ने कहा कि अगर मनुष्य चाहे तो वह अपने संकल्पों एवं लक्ष्यों को  हासिल कर सकता है। शैलेंद्र पाराशर का अभिलाष श्रीवास्तव एवं दीपक चावड़ा ने सम्मान किया।देव राठौर, कीर्ति जैन और वैष्णवी जायसवाल ने विभिन्न श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ वक्ता का पुरस्कार प्राप्त किया। आभार दीपक चावड़ा ने माना।

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