उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की वाणिज्य अध्ययनशाला में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया। इस मौके पर पूर्व कुल गुरु डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने मातृभाषा के महत्व पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भाषा व्यक्ति का सर्वोत्तम परिचय है और यह हमारे व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा है। डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि मातृभाषा से एक प्रकार का मानसिक और आत्मिक संबंध होता है। जब हम अपनी मातृभाषा में सोचते हैं, बोलते हैं और लिखते हैं, तो हम अपने व्यक्तित्व को सही रूप से व्यक्त कर पाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई दार्शनिकों और वैज्ञानिकों ने अपनी मातृभाषा में ही अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के नगर अध्यक्ष प्रो. नीरज सारवान ने विद्यार्थियों से अनुरोध किया कि वे अपनी मातृभाषा को लेकर गर्व महसूस करें। अध्यक्षता डॉ. शेलेंद्र कुमार भारल ने की। डॉ. नागेश पाराशर, डॉ. आशीष मेहता, डॉ. कायनात तंवर, डॉ. अनुभा गुप्ता, डॉ. परिमिता सिंह और डॉ. नेहा माथुर भी उपस्थित थे। संचालन और आभार डॉ. रुचिका खंडेलवाल ने माना।