उज्जैन। शिक्षा केवल सरकार का विषय नहीं समाज का भी सरोकार है। प्राचीन काल से भारत में धर्म और आध्यात्म के साथ शिक्षा का समंवय रहा है। हमारे गुरुकुलों और मठों में व्यक्ति और समाज निर्माण की शिक्षा दी जाती थी। कुंभ के अवसर पर ऋषि-मुनि, साधु-संत, धर्म, अध्यात्म, समाज, शिक्षा और राष्ट्र पर चिंतन करते थे। इसी संकल्पना को पुनर्स्थापित करने के लिए न्यास ने प्रयाग कुंभ में ज्ञान महाकुंभ किया। ज्ञान महाकुंभ में शिक्षा और ज्ञान पर राष्ट्रव्यापी चिंतन हुआ है। इसके सकारात्मक परिणाम आगामी समय में देश को देखने को मिलेंगे। यह उद्गार शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। यह जानकारी देते हुए न्यास के क्षेत्रीय प्रचार प्रसार प्रमुख डॉ जफर महमूद ने बताया कि न्यास के कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। बैठक में डॉ राकेश डांढ, डॉ अर्पण भारद्वाज, डॉ राजीव पंड्या, डॉ आरएम शुक्ला, डॉ प्रेमलता चुटेल, डॉ गीता नायक, डॉ प्रशांत पुराणिक, डॉ एसके मिश्रा, डॉ डीडी बेदिया, डॉ शैखर मैदमवार आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे। संचालन डॉ नीरज सारवान ने किया। आभार डॉ राजीव पंड्या ने माना।