उज्जैन। वैश्विक स्तर पर एकता और संस्कृति का संदेश भारत ही दे सकता है। हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है। हम हिंदी वासी प्रदेश के नागरिक हैं। हमारे बोलने और लिखने में त्रुटि नहीं होना चाहिए। यह उद्गार माधव कॉलेज में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की संगोष्ठी में प्रो प्रेमलता चुटेल ने व्यक्त किए। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो कल्पना सिंह ने कहा कि हिंदी भावों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। भारतीय संस्कृति और भारत को जोड़ने का काम हिंदी ने किया है। अतिथि संतोष सुपेकर ने कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। इस अवसर पर हम हिंदी की वैश्विकता पर चर्चा कर रहे हैं। डॉ रफीक नागौरी ने कविता पेश की। डॉ पोप सिंह परमार ने वक्तव्य दिया। डॉ केदार गुप्ता ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। संचालन डॉ जफर महमूद ने किया। आभार डॉ सीमा बाला अवस्या ने माना।

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