उज्जैन। बाबा साहेब आंबेडकर का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश समाज क्रांति है। इस दृष्टि से सामाजिक जीवन में उनका योगदान बीसवीं सदी पर मूलगामी प्रभाव डाला है। उनका जीवन-विमर्श-शोध का विषय है जो देखने सुनने और गुनने से प्रारंभ हुआ। उक्त विचार डॉ. आंबेडकर पीठ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विषय डॉ. आंबेडकर का चिंतन- शोध की संभावनाएं,के समापन पर प्रभारी कुलगुरु प्रो. शैलेंद्र शर्मा ने व्यक्त किए। प्रो. शर्मा ने कहा आंबेडकर चिंतन सर्वं खल्विदं ब्रह्म है। अध्यक्षीय उद्बोधन प्रो. कन्हैया त्रिपाठी ने दिया। तकनीकी सत्र में 14 शोध पत्रों का वाचन किया गया। संचालन डॉ. रीना अध्वर्यु, डॉ. प्रीति पांडेय, निशा चौरसिया ने किया। डॉ. विश्वजीत सिंह परमार, बबीता करवाड़िया, उदयसिंह गुर्जर, डॉ. मनोज कुमार गुप्ता, रंजना बागड़े, शेरसिंह दीपक चांदनी गुप्ता, पूजा खरे, मिलिंद त्रिपाठी, डॉ. पंकज माहेश्वरी अरविंद लोधी, डॉ. अश्विनी कुमार, रजनीश पाटीदार, कमलेश बैरवा ने शोध पत्र का वाचन किया। स्वागत भाषण डॉ. सत्येंद्र किशोर ने दिया। डॉ. अंजना पांडेय, डॉ. नीलेश दुबे, प्रो. राजेश टेलर, प्रो. सलिल सिंह, प्रो. गणपत अहिरवार, डॉ. ज्योति यादव, डॉ. प्रगति निगम आदि उपस्थित थे।

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