उज्जैन। डॉ. आंबेडकर चिंतन, विचार की प्रासंगिकता मानव सृष्टि तक है। नए भारत के सामाजिक चेतना के पुरोधा/आधुनिक भारत की नींव रखने में बाबा साहेब ने जीवन आहूत कर दिया। सच्चे अर्थों में उन्होने कर्म योद्धा का जीवन जिया। यह विचार विक्रम विश्वविद्यालय की डॉ. आंबेडकर पीठ के चिंतन, शोध की संभावना विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. कन्हैया त्रिपाठी ने कहे। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान में शोध अध्ययन की प्रक्रिया में बदलाव आवश्यक है। मुख्य अतिथि मप्र लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. नरेंद्र कुमार कोष्ठी थे। अध्यक्षीय उद्बोधन प्रो. गोपाल कृष्ण शर्मा ने दिया। स्वागत भाषण व पीठ की गतिविधियों को आचार्य प्रो. सत्येन्द्र किशोर मिश्रा ने बताया। उद्घाटन सत्र में प्रो. मनीषा सक्सेना, डॉ. मनोज कुमार गुप्ता, डॉ. अश्विनी, डॉ. सखाराम मुजाल्दे, डॉ. नीमा कुमार, प्रो. राजेश टेलर आदि सहित कृषि विज्ञान अध्ययनशाला व सांख्यिकी अध्ययनशाला के प्राध्यापकगण व विद्यार्थी, शोधार्थीगण उपस्थित थे। संचालन व आभार डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *