उज्जैन। प्राचीन काल से आधुनिक युग तक की यात्रा में अनुसंधानों के माध्यम से समाधान ढूंढने के लिए सदैव हम प्रयत्नशील रहे है। सामाजिक विज्ञान में शोध लेखन मानव व्यवहार संबंधों और सामाजिक संरचनाओं की जटिलता को सुलझाने में सक्षम बनाता है। अनुसंधान समाज विज्ञान की आधारशिला है। उक्त उद्गार समाज वैज्ञानिक आचार्य शैलेंद्र पाराशर ने समाज विज्ञानों में अनुसंधान अभिमुखीकरण विषय के पांच दिवस कार्यक्रम में अनुसंधान प्रतिवेदन लेखन विषय पर व्याख्यान में व्यक्त किए।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ के 35 शोध विद्वान भाग ले रहे हैं। संचालन सुमित कुमार झा ने किया।

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