उज्जैन। एकता और समता सनातन की विशेषता है। कलश एकता का प्रतीक है।श्रीराम शर्मा आचार्य ने सबसे पहले एक बनेंगे- नेक बनेंगे का नारा दिया था। इन ज्योति कलशों का आगमन बड़े भाग्य से हुआ है। हम सब अपने को गोरवान्वित महसूस करें।
यह उद्गार खाकी अखाड़ा के महंत तुलसी दास ने गायत्री शक्तिपीठ पर आए पांच ज्योति कलशों के पूजन पर व्यक्त किए। उपजोन के समंवयक महेश आचार्य ने बताया कि 2 जनवरी को इन कलशों को उज्जैन लाया गया। आगामी महाशिवरात्रि को प्रादेशिक समारोह में इन्हें पांच रथों के माध्यम से पूरे प्रदेश में रवाना किया जाएगा। शांतिकुंज की ज्योति कलश कार्यशाला में उज्जैन से महेश आचार्य, नरेंद्र सिकरवार, श्यामलाल जोशी, नारायण वर्मा, एमएल बेलावत, मनोहर सेठ, दिनेश पोरवाल को यह कलश शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेंद्र गिरी ने सौंपे थे। गायत्री शक्तिपीठ के गर्भग्रह में इन्हें आज स्थापित किया है। आम श्रृद्धालु इनके दर्शन का लाभ ले सकते हैं।

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