उज्जैन। भारत का राष्ट्रीय पंचांग होना चाहिए। ज्योतिषाचार्यों का यह मानना है। अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष संगोष्ठी में विश्व के 350 ज्योतिषाचार्य शामिल हुए। खगोलीय घटनाक्रम, भूगोल और कर्क रेखा के दोलन पर सभी ज्योतिषाचार्य ने गहन शोध कार्य की आवश्यकता बताई व भारत में होने वाले मानसूनी परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की। उद्घाटन अवसर पर राज्यसभा सदस्य उमेश नाथ ने संबोधित किया। संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों के बारे में जानकारी देते हुए संयोजक डॉ. सर्वेश्वर शर्मा ने बताया कि फलित गणित अंक गणित, तंत्र शास्त्र और वाइब्रेशन के आधार पर शोधपरक चर्चा हुई। विक्रम विश्वविद्यालय, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, साउथ एशियन एस्ट्रो फेडरेशन नेपाल, सम्राट विक्रमादित्य विद्वत परिषद, शंखोद्वार शोध संस्थान, अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को प्रो. अर्पण भारद्वाज ने संबोधित किया। पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला डोंगला को नासा व इसरो की तर्ज पर विकसित करने, कर्कराजेश्वर महादेव मंदिर नरसिंह घाट को स्मृति स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। खगोलविदो की मान्यता है कि नारायण ग्राम में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अपने मित्र सुदामा के साथ काल गणना का कार्य किया गया था।