उज्जैन। ईश्वर जिनमें बुद्धि की थोड़ी अधिक दीप्ति देता है वह परमात्मा का अंश होता है। देवेन्द्र जोशी एक श्रेष्ठ चिंतक और विचारक भी थे। भौतिक रूप से परमात्मा की उपस्थिति का अनुभव बौद्धिक दीप से ही होता है। यह उद्गार अध्यक्षीय उद्बोधन में पूर्व संभागायुक्त डॉ. मोहन गुप्त ने देवेंद्र जोशी को श्रध्दा सुमन अर्पित करते हुए व्यक्त किए। गुप्त ने कहा कि मात्र 32 साल की उम्र में अद्भुत साहित्य सृजन किया। जोशी ने 5 बरस में 35 से अधिक किताबें लिख डाली। प्रेस क्लब में डॉ. जोशी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। विशिष्ट वक्ता प्रो. शिव चौरसिया थे। मध्यप्रदेश लेखक संघ अध्यक्ष डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने जोशीजी को अपना दाहिना हाथ बताया। व्यंग्यकार डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा ने कहा कि देवेंद्र शब्दों के नायक थे। व्यंग्यकार डॉ. हरीशकुमार सिंह ने कहा कि उनकी मुलाकात टेपा सम्मेलन से हुई। साहित्यकार संदीप सृजन, पंकज मित्तल, बीके शर्मा, शीला व्यास, पुष्पा चौरसिया, संतोष सुपेकर, एचएल माहेश्वरी, राजेश ठाकुर आदि ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *