उज्जैन। 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया था। भारत में 28 सितंबर 1993 को मानव अधिकार कानून को स्वीकार किया। यह सब हमारी किताबों में लिखा है। उक्त विचार महिला-बाल विकास विभाग की पूर्व बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रो. रीना अध्वर्यु ने विक्रम विश्वविद्यालय की डॉ. आंबेडकर पीठ व कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के कार्यक्रम में कही। प्रो. अध्वर्यु ने कहा मानवाधिकार दिवस का ध्येय वाक्य हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी थीम है-भविष्य में मानवाधिकार संस्कृति को समेकित और कायम रखना है। यूनीसेफ के कार्यक्रम समंवयक नीलेश दुबे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकारों की तरह बाल अधिकारों की भी घोषणा की है। विशिष्ट अतिथि जनपद सीइओ संदीप यादव थे। सरपंच नीतिराज सिंह झाला ने कहा कि मानव अधिकार की सार्थकता तभी है जब हम अपने परिवार में शांति और मेलजोल से रहे। विद्यार्थियों ने भीसंवाद किया। संचालन डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया। आभार कृषि विज्ञान अध्ययनशाला की डॉ. मोनू विश्वकर्मा ने माना। प्राचार्य अनिता मकवाना, सरिता राठौड़, मीनाक्षी नंदा, सुधा द्विवेदी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। अंकुर टिटवानिया का विशेष सहयोग रहा।