उज्जैन। एकादशी11 नंवबर शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसलिए 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार सभी लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा से जाग जाते हैं।इसके बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी भी कहा जाता है। इस दिन से ही चातुर्मास समाप्त होते हैं और शुभ-मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

इस दिन अबूझ मुहूर्त भी

देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त भी होता है। देव उत्त्ठान एकादशी को नुतन वर्ष कहा जाता है। इस वर्ष शुभ मांगलिक विवाह के राशि अनुसार मांगलिक मुहूर्त रहेगे। कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव ने त्रिपुरापुर नामक राक्षस का वध किया था। इस दिन ही भगवान विष्णु ने राक्षसों से ऋषि, मुनियों की रक्षा करने के लिए मत्स्य अवतार लिया था। इस दिन ही गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। कार्तिक मास का उद्गम कृतिका नक्षत्र से हुआ है अर्थात. मनुष्य का पुण्य कर्म से ही आंनद उत्सव के साथ निर्भय होकर मोक्ष प्राप्त अर्जित करता है। अगर आप मंगल देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो कार्तिक में गुड़, मूंगफली, मसूर दाल, लाल मिर्च आदि चीजों का दान करें। इस उपाय को करने से मंगल दोष दूर होता है। कुंडली में शुक्र मजबूत करने के लिए कार्तिक महीने में भगवान विष्णु की पूजा के बाद चावल, दूध, चीनी, आटा और मैदा का दान करें।

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