उज्जैन। भारतीय दर्शन शब्दों से नहीं, बल्कि आचार, विचार और वेशभूषा में झलकता है। यह विचार अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजकुमार आचार्य ने विक्रम विश्वविद्यालय की वाणिज्य अध्ययनशाला के विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के दौरान व्यक्त किए। डॉ. आचार्य ने विद्यार्थियों से यह भी कहा कि सफलता का मूलमंत्र परिश्रम और समय की सटीकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. शैलेन्द्र कुमार भारल ने की। कार्यक्रम में रतलाम के प्रो. सुरेश कटारिया ने भी शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर डॉ. अनुभा गुप्ता, डॉ. नेहा माथुर, डॉ. आशीष मेहता, डॉ. कायनात तवर, डॉ. परिमिता सिंह और डॉ. नागेश पाराशर भी उपस्थित थे। संचालन डॉ. रुचिका खंडेलवाल ने किया।

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