उज्जैन। हरिद्वार कि तर्ज पर सिंहस्थ मेला क्षेत्र में अखाडों, साधु-संतों के आश्रमों, मठों मे स्थायी निर्माण की अनुमती के निर्णय पर उज्जैन अखाडा परिषद ने भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का अभिनंदन किया। यहां चर्चा दौरान संतों ने कहा कि संतो से सलाह-सुझाव लेकर निर्णय लें। सीएम बोलें- आगे से संतों के समंवय व तालमैल से ही सिंहस्थ संबंधी निर्णय होंगे। मुख्य रुप से शिप्रा गहरीकरण, घाटों के विस्तार, मेला क्षेत्र के काम शीघ्रता से पूर्ण करने पर चर्चा हुई। उज्जैन अखाडा परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष महंत डॉ रामेश्वर दास, महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी की अगुवाई में संत समाज ने सीएम का अभिनंदन किया। इस दौरान महंत आनंद पुरी, सत्यानंद, भगवान दास, श्याम गिरी, राजीव दास, सेवा गिरी, रामेश्वर गिरी आदि मौजूद थे।
संतों ने सीएम से की प्रमुख मांगें- मंगलनाथ क्षेत्र में वैष्णव संप्रदाय के रामानंदाचार्य द्वार एवं शैव संप्रदाय में शंकराचार्य द्वार का निर्माण तथा उदासीन संप्रदाय के इष्ट देव आचार्य चंद्रदेव द्वार का निर्माण हो। देवास का जहरीला पानी क्षिप्रा में नहीं मिले। सप्त सागरों का सीमांकन व गहरीकरण हो। शहर के दो पौराणिक तालाब गया कोठा व नीलगंगा का गहरी व सौंदर्यीकरण हो। 84 महादेव मंदिरों का जिर्णोद्धार हो। पुष्कर सागर को अतिक्रमण से मुक्त करवाएं। रामादल के संतों की पेशवाई खाकचैक से प्रारंभ हो। उज्जैन के कई साधु संत ऐसें भी है जिनके पास मात्र एक बीघा ही जमीन हैं, इन्हें भी पक्के निर्माण की अनुमति दी जाए। गउघाट के घाट को बड़ा कर लालपुल घाट तक ले जाएं। त्रिवेणी से कालियादेह महल तक क्षिप्रा का गहरीकरण हो।