उज्जैन। जो जैसा सोचता और करता है वैसा ही बन जाता है। हमने सतप्रवृत्ति संवर्धन, दुषप्रवृत्ति उन्मूलन का संकल्प लिया है। इसके लिए दस दिवसीय व्यक्तित्व परिष्कार शिविर हो रहे हैं। स्वाध्याय और सत्संग के द्वारा अपने जीवन को समुन्नत बनाना है। यह जानकारी 7 वें व्यक्तित्व परिष्कार शिविर में सदानंद अंबेकर ने दी। सत्र के प्रारंभ में देवेंद्र श्रीवास्तव ने संकल्प कराया। योगात्मक प्रयोग मोहन सिंह हिंगोले ने कराए। जयश्री जसवंत सिंह डाबर एवं सुरेश गोयल उपस्थितथे।