उज्जैन।बाबा रामदेव की कथा में स्वामी मूल योगीराज ने कहा कि व्यक्ति को भाषा और अपना वेश नहीं छोडना चाहिए। सज्जन व्यक्ति को सबका सहयोग मिले तो शुभ काम होते है। दुर्जन को सहयोग करने से बेडागर्क ही होना है। चौथे दिन स्वामी मूल योगीराज ने कहा उस समय समाज के निचले तपके को पानी के लिए तरसाना, नरबली करना, कुष्ठ रोगियों को जिंदागाड देने जैसी परंपरा थी। उसको बाबा ने समाप्त किया। बाबा रामदेव ने नारी की महत्ता को काफी महत्व दिया। उन्होने कहा कि नारी का अपमान नही होना चहिए। जिस घर में स्त्री के आंसू बहे वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता। घर की बरकत भी चली जाती है। उन्होने परिवार की चर्चा करते हुए कहा कि धन संपत्ति का बंटवारा तो किया जा सकता है, लेकिन पुण्य का नही। व्यास पीठ का पूजन राधे राधे महाराज व स्वामी महावीरनाथ ने किया। महापौर मुकेश टटवाल ने संतो एंव अतिथियों सुरज केरो, जगदीश अग्रवाल, इकबाल सिंह गांधी, राजेंद्र भारती, रवि राय, मदनलाल ललावत, मीना विजय जोनवाल, आरके गोठवाल, रूपेश लोदवाल, ओपी जाटवा, नंदकिशोर लोदवाल आदि का सम्मान किया।
आज कथा का समापन होगा- बाबा रामदेव की संगीतमय कथा का समापन 18 अक्टुम्बर को होगा। कथा के समापन के बाद महाप्रसादी बांटी जाएगी। महापौर मुकेश टटवाल एवं आयोजन समिति ने कथा एवं महाप्रसादी का लाभ लेने की अपील की है।

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