उज्जैन। स्वामी मूल योगीराज ने रामदेव कथा के दुसरे दिन कहा श्री हरी ने बाबा रामदेव के रूप में अवतार लिया। जब संसार में धर्म की हानि हुई श्री हरि को धरती पर आना पड़ा है। 14 वी शताब्दी में भी धर्मान्तरण की विकट समस्या थी। बाबा रामदेव ने सामना करते हुए हिन्दु धर्म को मजबूत करने का काम किया। रामदेव की कथा में स्वामीजी ने कहा कि प्रभू की लीलाओं का कोई अंत नही है। वे कभी राम बने तो कभी कृष्ण तो कभी वामन। महाराजश्री ने कहा की भक्ति में भय का कोई स्थान नही होता है। बाबा रामदेव जेसी सरल पूजा कोई नहीं है। 14वीं शताब्दी में बाबा ने न केवल दीन-दुखियों की समस्या का, पिड़ा का निराकरण किया अपितु धर्मांतरण जैसी बिमारी को रोकने में भी अहम भूमिका निभाई। कथा के आरंभ में व्यास पीठ का पूजन प्रेस क्लब के अध्यक्ष विशाल सिंह हाडा, पत्रकार अर्जुन सिंह चंदेल, निलेश खोयरे ने किया। विवेक जोशी, सत्यनारायण खोईवाल, संजय अग्रवाल, शिव मालवीय, शिवेंद्र तिवारी, प्रकाश शर्मा, सत्यनारायण चौहान, डॉ योगेश्वरी राठौर, कैलाश प्रजापत, रजत मेहता, पवन गेहलोद, राधेश्याम वर्मा, भगवान दास गिरी, विजय सिंह कुशवाह, संग्राम सिंह भाटिया, सुशील श्रीवासव रामदेव भक्त उपस्थित थे।