उज्जैन। महाकाल लोक से लग रहे जाम से महाकाल लोक परिवहन सेवा अधर में है। 3 बार निविदा में दो बार सारथी का टेंडर खुलने के बावजूद 2 साल से इस योजना को ठंडे बस्ते में पटक रखा है। पीपीपी मोड वाली यह योजना सुविधा एवं राजस्व की बढ़ाएगी। महाकाल लोक बनने के बाद दर्शनर्थियो में वृद्धि के बाद जरुरत से ज्यादा ई-रिक्शा हो गई। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने निविदा लांच की थी। श्रद्धालु अपने वाहनों को पार्किंग में खड़ा करके या बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से ही महाकाल दर्शन के लिए सरलता से आ सके और लूट-पाट से बच सके। टिकट, यूनिक कोड में सारी जानकरी वाले सर्टिफाइड सारथी जो जीपीएस, अग्नि शामक यंंत्र और एसओएस बटन युक्त गाड़ी से महाकाल तक पहुंच सकें। यातायात वाहनों को चेंज ओवर जोन, लोकल वासियो के लिए पास जैसी आधुनिक सुविधा युक्त प्रोजेक्ट महाकाल महालोक परिवाहन सेवा है। निविदा में मांगी गई न्यूनतम दर 15 प्रतिशत से बढ़कर शहर सारथी स्टार्टअप ने 20.80 भरी उसके बावजूद कुछ महत्वकांशी अधिकारियो द्वारा उस निविदा को निरस्त कर दिया गया। 20 /9/2023 को तीसरी बार इस निविदा को निकाला गया।सारथी स्टार्टअप ने अमानत राशि 10 लाख की डी डी तत्काल बनवाई और एग्रीमेंट हेतु रूपये 1000 रु. के स्टाम्प लिए। इसी दौरान ई-रिक्शा चालकों की टीम बनाई। सारथी स्टार्टअप निविदा कंपनी यूसीटीएसएल, नगर निगम, महापौर से लेकर कलेक्टर को पत्र व्यवहार और मौखिक पूछते रहे कि निविदा की आगे की प्रक्रिया कब शुरू करनी है। लेकिन संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं मिला। ई-रिक्शा ग्लोबल लेवल की समस्या बन गई है। शहर सारथी स्टार्टअप ने उच्च अधिकारियों से अनुरोध किया है कि इसे लेकर जल्द ही निर्णय लें।

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