उज्जैन।समाज में बिगड़ती व्यवस्था का कारण सच्चे महात्माओं का सत्संग न मिलना है। यह बात संत उमाकांत ने कही है। सन्त बाबा उमाकांत ने उज्जैन में दिए संदेश में बताया कि यह मनुष्य शरीर किराए का मकान है जो केवल खाने-पीने, मौज-मस्ती करने के लिए नहीं मिला। असली उद्देश्य जीते जी प्रभु को पाना है। प्रभु का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव, संकट में मददगार है। मौत के समय पीड़ा इसी नाम को बोलने से कम होगी। दुधमुंहे बच्चे को मां के दूध के समान अभी लोगों को सत्संग की जरूरत है। इस समय लोगों के बिगड़ने, खान-पान खराब होने, भगवान से दूर होने, खून का रिश्ता तार-तार कर देने का क्या कारण है? बच्चों, परिवार वालों को सतसंग नहीं मिल रहा है।

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