उज्जैन। प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था ने संजा लोकोत्सव में हुए लोकनाट्य माच पर आधारित डॉक्यूमेंटेशन किया। गुरु बालमुकुंद घराने के युवा कलाकार सुधीर सांखला से एवं वरिष्ठ माच कलाकार बाबूलाल देवला से चर्चा की गई। इस संबंध में सुधीर सांखला ने बताया कि मालवा की लोकनाट्य माच परंपरा को शासकीय प्रश्रय के साथ ही स्थानीय संस्थाओं के सहयोग की आवश्यकता है। आज के बदलते दौर में इस कला को आजीविका के रूप में अपनाना कठिन है। सांखला ने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले माच कलाकार खेत पर नाटक की तैयारी के लिए जगह के साथ कलाकारों के रहने एवं भोजन की व्यवस्था भी करते हैं। पूर्व में महिलाओं द्वारा मंच पर नृत्य या अभिनय करना समाज द्वारा अच्छा नहीं माना जाता था इसलिए पुरुष ही स्त्री का वेश धारण करते थे और वही परंपरा आज भी प्रचलन में है।
संजा लोकोत्सव में आज से तीन दिवसीय लोकरंग जत्रा
संजा लोकोत्सव में आज से तीन दिवसीय लोक रंग यात्रा होगी जिसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश के लोक कलाकार कला का प्रदर्शन करेंगे। 28 सितंबर को कनासिया में दोपहर 1 बजे से संजा एवं मांडना की प्रतियोगिता, 4 बजे से कला प्रदर्शनी एवं शाम 7 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।