उज्जैन।अतिथि की भक्ति में जिसको प्रमाद नहीं आता, वह बहुत धन्य होता है। जो मुनिराज और अतिथि को आहार कराकर बाद में भोजन करता है वह अति पुण्यशाली जीव होता है। अभय और शास्त्र का सिर्फ दान ही होता है। क्रोध का त्याग होता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी दान देने की प्रवृत्ति होती है, दान देने की भावना रखनी चाहिए। यथाशक्ति दान करना चाहिए।अगर हम समय रहते दान नहीं करेंगे तो अंत में हाथ मलते रह जाएगे। समाज सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया महावीर तपोभूमि पर पर्यूषण के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म की पूजा की गई। शिविर के श्रावकों ने अनेक प्रकार का त्याग किया। श्री जी के अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम की पूजा, दस लक्षण धर्म की पूजा के बाद प्रभा दीदी के प्रवचन हुए। सोमवार को उत्तम आकिंचन धर्म की पूजा होगी। मंगलवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा के साथ पर्यूषण के दस दोनों के कार्यक्रम होंगे। सभी मंदिरों में अपनी अपनी परंपराओं के आधार पर सामूहिक क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा।
तपोभूमि पर शांतिधारा हुई। शिविर संयोजक रमेश जैन, सारिका जैन, राजेंद्र लुहाडिया, सागर जैन, गिरीश बिलाल मौजूद थे। पूजा श्रेयांश जैन ने कराई। संचालन सचिन कासलीवाल ने किया। संस्थापक अध्यक्ष अशोक जैन चाय वाला,अध्यक्ष दिनेश जैन, सचिव संजय बड़जात्या, कोषाध्यक्ष देवेंद्र सिंघई, संरक्षक सुनील ट्रांसपोर्ट, विकास सेठी, हेमंत गंगवाल, पुष्पराज जैन ,अनिल पतंगया , संजय जैन, वीर सेन जैन,सागर जैन, चंदा बिलाला, ज्योति जैन, तोशी सेठी, विनीता कासलीवाल नीलू बड़जात्या, सिम्मी जैन, मीना एकता, शैलेंद्र जैन शाह आदि कई लोग मौजूद थे।