उज्जैन। जैन धर्म के आगम ग्रंथों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कल्पसूत्र ग्रंथ का वाचन केवल पर्युषण में ही होता है। पर्व के चौथे दिन खाराकुआं स्थित सिद्धचक्र केसरियानाथ तीर्थ पेढ़ी मंदिर पर पर सुबह 9 बजे साध्वी अमितगुणा श्रीजी को कल्प सूत्र भेंट किया। पर्व में 8 व्याख्यान के माध्यम से इसका वाचन होता है। पर्व में बुधवार को सुबह 9.30 बजे से ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआ के संयोजन में प्रभू का जन्मवाचन मनेगा। पेढ़ी ट्रस्ट सचिव नरेंद्र जैन दलाल एवं मीडिया प्रभारी डॉ. राहुल कटारिया के अनुसार मंगलवार को 8 मंगल चिह्नो की अनुकृति के भी दर्शन कराए गए। बुधवार को जन्मवाचन उत्साह के साथ बनेगा।
समाज के अशोक भंडारी ने बताया कल्पसूत्र एवं संवत्सरी दिवस पर वारसा सूत्र का वाचन होता है। मान्यता है कि 8 बार विधिपूर्वक इसे श्रवण करने वाला व्यक्ति सात जन्म के बाद मोक्ष पा सकता है। महापर्व के आठ दिन सभी नित्य प्रभु पूजन, व्याख्यान, प्रतिक्रमण, आरती एवं तपस्या में लीन रहते है।