शास्त्र व गुरु के प्रति जाने अनजाने हुई अशुद्धि के प्रायश्चित के लिए किया जाता है चंदन षष्ठी व्रत
उज्जैन। शास्त्र व गुरु के प्रति जाने अनजाने हुई अशुद्धि के प्रायश्चित के लिए चंदन षष्ठी व्रत किया जाता है। उज्जैन में जब अतिमुक्तक महाराज का नगर प्रवेश हुआ था तब उन्होने महीने भर से अन्न-जल ग्रहण नही किया था तब ईश्वर चंद सेठ और उनकी धर्म पत्नी चंदना ने मुनि राज को आहार दिया। जिसके निवारण के लिए दोनों ने चंदन षष्ठी व्रत किया और उनका कुष्ठ दूर हुआ, तभी से इस व्रत को मनाया जाता हैं। यह बात आर्यिका दुर्लभ मती माताजी ने कही। आर्यिका अर्हत चक्र मंडल विधान कर रही है। बाल ब्रह्मचारी अंकित भैया ने सारे विधि विधान किए। विद्या कुंभ चतुर्मास सेवा समिति ने बताया 1 सितंबर तक आर्यिका संघ मंडल विधान कर रहा है। 24 अगस्त को महुआ महाराष्ट्र के कलाकारों ने भक्ति का फल और पूजा का चमत्कार नाटक प्रस्तुत किया।

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