उज्जैन। कितनी भी विषम परिस्थिति आए धीरज को डोलने नहीं देना। नारी के लिए पहला गुरु मां, दूसरा पिता, तीसरा पति है। जीवन में कितनी भी परेशानी आ जाए, भगवान ने जोड़ा बना दिया उसे निभाना चाहिए। नारी सुधर गई तो जगत सुधर गया। जीवन उसी नारी का महान है जो सत्संग करे। यह बात बाबा धाम मंदिर में श्रीराम कथा के दौरान महामंडलेश्वर गुरू मां आनंदमई ने कही। गुरू मां ने भगवान श्रीराम द्वारा शबरी को मोक्ष, बाली वध, लंका दहन, रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना, राम सेतु का निर्माण, रामजी की सेना का लंका में पहुंचना और कुंभकरण, मेघनाथ सहित रावण का वध की कथा सुनाई। राम राज्याभिषेक के साथ श्रीराम कथा की पूर्णाहुति हुई। वनवास के दौरान अनुसूइया ने सीताजी को शिक्षा दी थी। महामंडलेश्वर मां आनंदमई ने कहा कलियुग में चित्रण से थोड़ा बचकर चलना। कई भटकाते हैं। बहू अगर अपनी हो गई तो बेटा तो खींचा चला आएगा।कथा की पूर्णाहुति पर देश के सैनिकों को स्मरण किया गया। ऐ मेरे वतन के लोगों… गीत ने सभी को देशप्रेम से ओतप्रोत कर दिया।