उज्जैन। पत्नी को चाहिए कि पति के पीछे चलने में ही उसका आनंद है। नारी भक्ति का व पुरूष ज्ञान का स्वरूप है। यह बात
संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन महामंडलेश्वर गुरू मां आनंदमयी ने कही। उन्होने मां भवानी द्वारा मां सीता का रूप धर भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने का प्रसंग सुनाते हुए कहा सीता के रूप में मां भवानी जब श्रीरामजी के आगे-आगे चलती है, तब ही लक्ष्मणजी पहचान जाते हैं, क्योंकि असली माता सीता होती तो भगवान श्रीराम के पीछे चलती। गुरू मां आनंदमयी ने कहा समाज में आज विवाह कराया और कल तलाक हो जाता है, क्योंकि आगे बढ़ना है। आगे जाने में बुराई नहीं, हम खुद कॉलेज की नौकरी छोड़कर भगवान की नौकरी कर रहे हैं। जीवन में व्यथा दूर हो जाए तो मेरी रामकथा सार्थक है।
आनंदमयी ने कहा बीमारी लग जाए तो डॉक्टर के पास जाते हैं। गुरू को माला इसलिए पहनाई जाती है आपका जीवन फूलों की तरह महकता रहे। उन्होने कहा साधारण जीवन नहीं।, बच्चों को प्यार से रखना। बच्चे घर की बगिया का फूल हैवन में कितनी भी गलती हो जाए अपने मां बाप को जरूर बताओ। हम एक-एक रूपया बच्चों के लिए जोड़ते हैं। हम एक कमरे में रहे, और बच्चों के लिए 10 कमरों का मकान बनाया। बच्चे उन 10 कमरों में रहते हैं।