उज्जैन। जब भाग्य उदय हो जाता है तब कथा सुनने और कहने का मौका मिलता है। रामचरित मानस साधारण ग्रंथ नहीं है। राग, द्वेष, क्रोध, रोष, ईर्ष्या, अहंकार हो तब कथा श्रवण नहीं कर सकते। यह बात बड़नगर रोड़ बाबाधाम मंदिर में श्रीराम कथा के पहले दिन महामंडलेश्वर गुरू मां आनंदमई ने कही। गुरू मां ने कथा का महत्व बताया। महामंडलेश्वर गुरू मां आनंदमई ने कहा कि एक लोटा जल मंदिर में चढ़ाने की होड़ लग गई है। भले घर में कचरा पड़ा, है, बच्चा रो रहा है, ऐसे में एक लोटा जल तुम्हारा भगवान कबूल करेगा। बुध्दि और विवेक के संग गुरू का सान्निध्य लो। बूढ़े माता पिता घर में है और हम मंदिर जा रहे है, पहले उनकी सेवा करना। जीती जागती मूरत में भगवान का दर्शन नहीं कर रहे और दर-दर भगवान को ढूंढते फिर रहे।