उज्जैन। उज्जैन में ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पिता का पिंडदान किया था। उज्जैन की भूमि का बड़ा प्रताप है। यहां अमृत की बूंदे गिरी थी। जिसको भी अपने माता-पिता पूर्वजों का पिंडदान करना है, सिध्दवट पर पिंडदान करें। वैकुंंठ में डायरेक्ट अपने माता-पिता की इंट्री कराएं। यह बात स्वामी प्रेमानंद ने भागवत कथा के छठे दिन कही। प्रेमानंद महाराज ने कालियावन के वध, कंस वध के साथ रूक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। महाराजश्री ने कहा कि यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर नारायणा धाम है। जहां भगवान कृष्ण और सुदामा लकड़ी बीनने जाया करते थे। कथा में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी सीमा यादव, समाजसेवी नारायण यादव, महंत मनीष भी पहुंचे। महाराजश्री ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के परिवार की चर्चा की।महाराजश्री ने कहा अपने बच्चों के नाम नारायण रख लो, कृष्ण रख लो, मोहन रख लो, गोविंद, राम रख लो। टिंकु, चिंकू, टप्पू ये अमेरिकन कुत्तों के नाम नहीं रखना। स्वामी प्रेमानंद ने कहा घर के बुजुर्ग जहां बैठ जाते हैं, समझ लो उस परिवार का तीर्थ वहां आ जाता है। शास्त्र कहता है जो पुत्र, पुत्री मां बाप की सेवा करने योग्य है और यदि सेवा नहीं करता है तो वह मरे हुए के समान है। शास्त्र कहता है मातृ देवो भवः पिता से पहले मां को देवता कहा है। संसार में यदि किसी को ताकत दी है तो सिर्फ मां को दी है। मां-बाप जब वृद्ध हो जाते हैं उन्हें कुछ नहीं चाहिए। स्वामी प्रेमानंद ने कहा कि परिवार में जब बच्चे बड़े हो जाते हैं। भागवत में ये नहीं लिखा कि कृष्ण गए तो अकेले गए। हमेशा लिखा है कृष्ण और बलराम, लेकिन आज भाई को भाई से तकलीफ है। जमीन की लड़ाई, छोटी-छोटी बात पर बेईमानी, किसी के साथ एक इंच जमीन भी नहीं जाएगी सब यही रह जाना है। बाबा धाम मंदिर सचिव महंत आदित्यपुरी ने बताया 27 जुलाई को पुष्पवर्षा होगी। कथा की पूर्णाहुति पर सातवें दिन फूलों की होली होगी।

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